Thursday, March 4, 2021

रेणु जन्मशताब्दी

 'लालपान की बेग़म' की कृपा से आपसे सूक्ष्म साक्षात्कार हुआ। फिर एक दिन, 'पंचलाइट' की रोशनी में 'मैला आँचल'  क्षितिज पर लहराता दिखा। 'एक आदिम रात्रि की महक' महसूस की और कसम से, 'तीसरी कसम' देखते हुए कभी लगा ही नहीं कि आप कोई रचनाकार हो। आप तो जीवन दर्शन का जीवंत स्वरूप प्रतीत होते हो। एकदम से, 'महुआ घटवारिन' जैसी मादकता है आपकी स्याही में। प्रेमचंद जी के बाद किसी से जीवनी मिली हिंदी, आँचलिक साहित्य को तो, वो आपसे।


बाबा नागार्जुन, अज्ञेय, सांस्कृत्यायन जी, निराला और दिनकर जी की पंक्ति में आपको पाता हूँ। जो कुछ भी थोड़ा सीखा, आप सबको पढ़ कर ही सीखा।


जन्मशती पर शत सहस्त्र बार नमन।

4 मार्च 1921-11 अप्रैल 1977

श्री फणीश्वरनाथ जी 'रेणु'