Friday, September 12, 2008

उसे एहसास जाने कब होगा

उसे एहसास जाने कब होगा।

मैं आपनी ज़िन्दगी न खो बैठूं,
मैं आपनी हर खुशी न गवां बैठूं,
उसे ख़बर है सब मगर,


न जाने क्यूँ मुझे रुलाती है,
न जाने क्यूँ मुझे सताती है,

मैं खिलखिलाता हूँ बस उसके लिए,
मैं रो भी जाता हूँ तो उसके लिए,


उसे एहसास जाने कब होगा,

मैं आपनी ज़िन्दगी खो बैठूं,
मैं आपनी हर खुशी गवां बैठूं,

तमाम उमर फिर वो तद्पेगी मेरे लिए,

फिर वो चाहेगी भी तो क्या होगा,
फिर वो आवाज़ भी देगी तो क्या होगा,

फिर चाह कर भी न कुछ होगा,
फिर हर तरफ़ खामोशी होगी,

फिर हर पल याद दिलाएगी,
जो उसे हर घड़ी ेसताएगी,

मैं आपनी हर खुशी गवां बैठा,
मैं अपनी ज़िन्दगी को खो बैठा,


उसे एहसास जाने कब होगा।