Friday, September 12, 2008

उसे एहसास जाने कब होगा

उसे एहसास जाने कब होगा।

मैं आपनी ज़िन्दगी न खो बैठूं,
मैं आपनी हर खुशी न गवां बैठूं,
उसे ख़बर है सब मगर,


न जाने क्यूँ मुझे रुलाती है,
न जाने क्यूँ मुझे सताती है,

मैं खिलखिलाता हूँ बस उसके लिए,
मैं रो भी जाता हूँ तो उसके लिए,


उसे एहसास जाने कब होगा,

मैं आपनी ज़िन्दगी खो बैठूं,
मैं आपनी हर खुशी गवां बैठूं,

तमाम उमर फिर वो तद्पेगी मेरे लिए,

फिर वो चाहेगी भी तो क्या होगा,
फिर वो आवाज़ भी देगी तो क्या होगा,

फिर चाह कर भी न कुछ होगा,
फिर हर तरफ़ खामोशी होगी,

फिर हर पल याद दिलाएगी,
जो उसे हर घड़ी ेसताएगी,

मैं आपनी हर खुशी गवां बैठा,
मैं अपनी ज़िन्दगी को खो बैठा,


उसे एहसास जाने कब होगा।

7 comments:

Kavita Vachaknavee said...

नए चिट्ठे का स्वागत है. निरंतरता बनाए रखें.खूब लिखें,अच्छा लिखें.

शोभा said...

अच्छा लिखा है. स्वागत है आपका.

Amit K Sagar said...

भावः हैं. अच्छा.

रंजन राजन said...

हिंदी दिवस पर हिंदी चिट्ठा जगत में आपका स्वागत है।
आगाज सचमुच शानदार है। अंजाम और भी जानदार हो, इसके लिए शुभकामनाएं।

شہروز said...

श्रेष्ठ कार्य किये हैं.
आप ने ब्लॉग ke maarfat जो बीडा उठाया है,निश्चित ही सराहनीय है.
कभी समय मिले तो हमारे भी दिन-रात आकर देख लें:

http://shahroz-ka-rachna-sansaar.blogspot.com/
http://hamzabaan.blogspot.com/
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प्रदीप मानोरिया said...

ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है बधाई कृपया मेरे ब्लॉग पर पधारें

Anonymous said...

भाई प्रयास जारी रहे। एहसास होगा। शुभकामनाएं।